कहने को तो आजादी मिल गई थी मगर पैरों में गुलामी की बेड़ियां पड़ी थी। कहने को तो आजादी मिल गई थी मगर पैरों में गुलामी की बेड़ियां पड़ी थी।
हिंदी को दिल से अपनाकर पूर्ण सम्मान देना होगा। हिंदी को दिल से अपनाकर पूर्ण सम्मान देना होगा।
आम दिनों में भी देखे तो लोग हिंदी बोलने में हिचकिचाते हैं आम दिनों में भी देखे तो लोग हिंदी बोलने में हिचकिचाते हैं
जिसकी कोख में सृजन हुआ वही हैं भाग्य विधाता। जिसकी कोख में सृजन हुआ वही हैं भाग्य विधाता।
बन खुद ही अपनी पतवार तू दौड़ जा मंज़िल के उस पार तू क्योंकि वक़्त को भी है इंतजार दे अपन... बन खुद ही अपनी पतवार तू दौड़ जा मंज़िल के उस पार तू क्योंकि वक़्त को भी ...
ऐसा हो एक देश कहीं पर स्वर्ग से अनुपम स्वर्ग से खास। ऐसा हो एक देश कहीं पर स्वर्ग से अनुपम स्वर्ग से खास।